कुलवांता
From जैनकोष
शिखापद नगर की एक स्त्री । यह अत्यंत कुरूप और दरिद्र थी । समाज में उसका बड़ा तिरस्कार होता । मरने से एक मुहूर्त पूर्व उसके शुभमति का उदय हुआ । उसने अनशन व्रत लिया । मरकर वह स्वर्ग में क्षीरधारा नाम की एक किन्नर देवी हुई । वहाँ से च्युत होकर यह पुरुष पर्याय में आयी और इसका नाम सहस्रभाग हुआ । पद्मपुराण - 13.55-60