कृषिकर्म
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
राजवार्तिक/3/36/2/200/32 कर्मार्यास्त्रेधा-सावद्यकर्मार्या अल्पसावद्यकर्मार्या असावद्यकर्मार्याश्चेति। सावद्यकर्मार्या: षोढा-असि-मसि-कृषि-विद्या-शिल्प-वणिक्कर्मभेदात् । =कर्मार्य तीन प्रकार के हैं-सावद्यकर्मार्य, अल्पसावद्यकर्मार्य और असावद्यकर्मार्य। तहाँ भी सावद्यकर्मार्य असि, मसि, कृषि, विद्या, शिल्प और वणिक्कर्म के भेद से छह प्रकार के हैं।
देखें सावद्य - 3।
पुराणकोष से
प्रजा को आजीविका के लिए वृषभदेव द्वारा बताये गये षट्कर्मों मे तृतीय कर्म-भूमि को जोतना-बोना । महापुराण 16.179-181 हरिवंशपुराण - 9.35