कैवल्यपूजा
From जैनकोष
केवलज्ञान की पूजा । तीर्थंकरों को केवलज्ञान होने पर इंद्र का आसन कंपित होता है । वह अवधिज्ञान से तीर्थंकरों के कैवल्य को जानकर उनके पास सपरिवार आता है और उनकी पूजा करता है । इसी समय कुबेर समवसरण (प्रवचन-सभा) की रचना करता है । महापुराण 7.99, 22. 13-14, 315, 57.52.53