कौशांब
From जैनकोष
एक भयंकर वन । द्वारावती नगरी के विनाश की तथा जरत्कुमार के निमित्त से कृष्ण की मृत्यु होने की नेमिनाथ द्वारा भविष्यवाणी सुनकर जरत्कुमार ने इसी वन का आश्रय लिया था । यहीं अपने अंत समय में बलराम और कृष्ण आये थे । कृष्ण यहाँ लेट गये थे । जरत्कुमार ने उन्हें एक मृग समझकर उन पर बाण छोड़ दिया । उसी से उनकी मृत्यु हुई । हरिवंशपुराण - 62.15-61, पांडवपुराण 22. 81-84