क्षेत्र - कषाय
From जैनकोष
- कषाय मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणांतिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु. |
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नं. 1 पृ. |
नं. 2 पृ. |
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350 |
चारों कषाय |
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सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणांतिक वत् |
केवल तै.अ. मूलोघ वत् |
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350 |
अकषाय |
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— |
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अपगत वेदी वत् |
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115 |
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चारों कषाय |
1 |
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स्व ओघ वत् |
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— |
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116 |
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2,4 |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
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116 |
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2,4 |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
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116 |
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5 |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
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116 |
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6-9 |
च/असं, म×सं |
यथायोग्य च/सं, म×सं |
यथायोग्य च/असं, म×सं |
यथायोग्य च/असं, म×सं |
च/असं, म×असं |
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केवल तै.आ.मूलोघ वत् |
117 |
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लोभ कषाय |
10 |
च/असं, म×सं |
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त्रि/असं |
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116 |
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अकषाय |
11-13 |
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मूलोघ वत् |
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