क्षेत्र - संयम
From जैनकोष
- संयम मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणांतिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु. |
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नं. 1 पृ. |
नं. 2 पृ. |
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354 |
संयम सामान्य |
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च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×असं |
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मूलोघ वत् |
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354 |
सामायिक छेदोप. |
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च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×असं |
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केवल तै.आ.मूलोघवत् |
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352 |
परिहार विशुद्धि |
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च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
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352 |
सूक्ष्मसांपराय |
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च/असं, म×सं |
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च/असं, म×असं |
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354 |
यथाख्यात |
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च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
च/असं, म×असं |
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केवली केवली समु.मूलोघ वत् |
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355 |
संयतासंयत |
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त्रि/असं, म×असं |
त्रि/असं, म×असं |
त्रि/असं, म×असं |
त्रि/असं, म×असं |
त्रि/असं, म×असं |
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355 |
असंयत |
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नपुंसक वेद वत् |
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121 |
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संयत सामान्य |
6×14 |
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मूलोघ वत् |
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122 |
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सामायिक छेदोप. |
6-9 |
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मूलोघ वत् |
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123 |
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परिहार विशुद्धि |
6-7 |
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मूलोघ वत् |
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124 |
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सूक्ष्म सांपराय |
10 |
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मूलोघ वत् |
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124 |
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यथाख्यात |
11-14 |
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मूलोघ वत् |
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124 |
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संयमासंयम |
5 |
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मूलोघ वत् |
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124 |
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असंयम |
1-4 |
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मूलोघ वत् |
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