क्षेत्र - सम्यक्त्व
From जैनकोष
- सम्यक्त्व मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणांतिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु. |
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नं. 1 पृ. |
नं. 2 पृ. |
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361 |
सम्यक्त्व सामान्य |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
मूलोघ वत् |
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361 |
क्षायिक |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
मूलोघ वत् |
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362 |
वेदक |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
केवल तैजस व आहारक मूलोघ वत् |
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362 |
उपशम |
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— |
उपशम सम्यग्दृष्टि संख्या में वेदक से कुछ कम है अत: वेदक वत् अर्थात् उससे किंचित् ऊन उनका क्षेत्र है |
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362 |
सासादन |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
— |
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364 |
सम्यग्मिथ्यात्व |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
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364 |
मिथ्यात्व |
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नपुंसक वेद वत् |
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133 |
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सम्यक्त्व सामान्य |
4-14 |
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मूलोघ वत् |
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133 |
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क्षायिक |
4 |
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मूलोघ वत् |
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133 |
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5 |
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मनुष्य पर्याप्त वत् |
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133 |
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6-14 |
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मूलोघ वत् |
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134 |
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वेदक |
4-7 |
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मूलोघ वत् |
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135 |
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उपशम |
4 |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिक वत् |
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136 |
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5 |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
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135 |
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6-11 |
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मूलोघ वत् |
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135 |
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सासादन |
2 |
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मूलोघ वत् |
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135 |
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सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
3 |
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मूलोघ वत् |
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135 |
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मिथ्यादृष्टि |
1 |
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मूलोघ वत् |
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