गणनाथ-भक्ति
From जैनकोष
आचार्यभक्ति । यह सोलह कारण भावनाओं में एक भावना है । इसमें मन, वचन और काय से भावों की शुद्धतापूर्वक आचार्यों की भक्ति की जाती है । महापुराण 63.327
आचार्यभक्ति । यह सोलह कारण भावनाओं में एक भावना है । इसमें मन, वचन और काय से भावों की शुद्धतापूर्वक आचार्यों की भक्ति की जाती है । महापुराण 63.327