ग्रन्थ:मोक्षपाहुड़ गाथा 4
From जैनकोष
तिपयारो सो अप्पा परमंतरबाहिरो १हु देहीणं ।
तत्थ परो झाइज्जइ अंतोवाएण चइवि बहिरप्पा ॥४॥
त्रिप्रकार: स आत्मा परमन्त: बहि: स्फुटं देहिनाम् ।
तत्र परं ध्यायते अन्तरुपायेन त्यज बहिरात्मानम् ॥४॥
आगे परमात्मा कैसा है ऐसा बताने के लिए आत्मा को तीन प्रकार का दिखाते हैं -
अर्थ - वह आत्मा प्राणियों के तीन प्रकार का है; अंतरात्मा, बहिरात्मा और परमात्मा । अंतरात्मा के उपाय द्वारा बहिरात्मपन को छोड़कर परमात्मा का ध्यान करना चाहिए ।
भावार्थ - बहिरात्मपन को छोड़कर अंतरात्मास्वरूप होकर परमात्मा का ध्यान करना चाहिए, इससे मोक्ष होता है ॥४॥