चारूदत्त
From जैनकोष
(1) शंभवनाथ का प्रथम गणधर । हरिवंशपुराण - 60.346
(2) बलदेव का एक पुत्र । हरिवंशपुराण - 48.66
(3) शकुनि का वीर-पराक्रमी भाई । यह कृष्ण का पक्षधर था । इसके पास एक चौथाई अक्षौहिणी सेना थी । हरिवंशपुराण - 50.72
(4) चंपा नगरी के एक धनिक वैश्य भानुदत्त और उसकी स्त्री सुभद्रा का पुत्र । यह अपने मामा सर्वार्थ को स्त्री सुमित्रा से उत्पन्न पुत्री मित्रवती से विवाहित हुआ था । चाचा रुद्रदत्त की युक्ति से यह वेश्या कलिंगसेना की पुत्री बसंतसेना से मिला । दोनों परस्पर आसक्त होकर एक साथ रहने लगे । इसने अपनी सारी संपत्ति बसंतसेना की माँ कलिंगसेना को दे दी । निर्धन होने पर कलिंगसेना ने इसे घर से निकाल दिया । यह व्यापार के लिए रत्नद्वीप गया और वहाँ से बहुत-सा धन लेकर लौटा । हरिवंशपुराण - 21.6-127 इसकी गंधर्वसेना नामक एक पुत्री थी । वह गंधर्वशास्त्र में निपुण थी । गंधर्व सेना का निश्चय था कि जो गंधर्वशास्त्र में जीतेगा वही उसका पति होगा । वसुदेव ने उसे जीत लिया और इसने अपनी पुत्री का विवाह वसुदेव के साथ कर दिया । महापुराण 70. 267-304, हरिवंशपुराण 19. 122-123, 268