जगती
From जैनकोष
जंबूद्वीप को चारों ओर से घिरे हुए वज्रमय भित्ति । यह इस द्वीप का अंतिम अवयव है । यह मूल में बारह योजन, मध्य में आठ योजन, और अग्र भाग में चार योजन चौड़ी है । इसकी ऊंचाई आठ योजन तथा आधा योजन गहरी है । इसका मूलभाग वज्रमय, मध्यभाग विविध रत्नमय और अग्रभाग वैडूर्य मणिमय है । हरिवंशपुराण - 5.377-379