जातिमंत्र
From जैनकोष
जाति संस्कार का कारण होने से इस नाम से संबोधित मंत्र । ये मंत्र है― सत्यजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, अर्हज्जन्मन: शरणं प्रपद्यानि, अर्हन्मातु: शरणं प्रपद्यामि, अर्हत्सुतस्य शरणं प्रपद्यानि, अनादिगमनस्य शरणं प्रपद्यामि अनुपमजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, रत्नत्रयस्य शरणं प्रपद्यामि, सम्यग्दृष्टे-सम्यग्दृष्टे ! ज्ञानमूर्ते-ज्ञानमूर्ते सरस्वति । सरस्वति ! स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु—विनाशनं भवतु समाधिमरणं भवतु । महापुराण 40.26-31