• जैनकोष
    जैनकोष
  • Menu
  • Main page
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • What links here
    • Related changes
    • Special pages
    • Printable version
    • Permanent link
    • Page information
    • Recent changes
    • Help
    • Create account
    • Log in

जैन शब्दों का अर्थ जानने के लिए किसी भी शब्द को नीचे दिए गए स्थान पर हिंदी में लिखें एवं सर्च करें

 Actions
  • Page
  • Discussion
  • View source
  • View history

ज्ञाननय

From जैनकोष

श्लोतकवार्तिक/४/१/३३/श्‍लोक ९६-९७/२८८ सर्वे शब्‍दनयास्‍तेन परार्थप्रतिपादने। स्‍वार्थप्रकाशने मातुरिमे ज्ञाननया: स्थिता:।९६। वैधीयमानवस्‍त्‍वंशा: कथ्‍यन्‍तेऽर्थ नयाश्‍च ते। त्रैविध्‍यं व्‍यवतिष्‍ठन्‍ते प्रधानगुणभावत:।९७।=श्रोताओं के प्रति वाच्‍य अर्थ का प्रतिपादन करने पर तो सभी नय शब्‍दनय स्‍वरूप हैं, और स्‍वयं अर्थ का ज्ञान करने पर सभी नय स्‍वार्थप्रकाशी होने से ज्ञाननय हैं।९६। ‘नीयतेऽनेन इति नय:’ ऐसी करण साधनरूप व्‍युत्‍पत्ति करने पर सभी नय ज्ञाननय हो जाते हैं। और ‘नीयते ये इति नय:’ ऐसी कर्म साधनरूप व्‍युत्पत्ति करने पर सभी नय अर्थनय हो जाते हैं, क्‍योंकि नयों के द्वारा अर्थ ही जाने जाते हैं। इस प्रकार प्रधान और गौणरूप से ये नय तीन प्रकार से व्‍यवस्थित होते हैं।

अधिक जानकारी के लिये देखें नय#I.4.4 । नय I.4.4 ।


पूर्व पृष्ठ

अगला पृष्ठ

Retrieved from "https://www.jainkosh.org/w/index.php?title=ज्ञाननय&oldid=131423"
Categories:
  • ज्ञ
  • द्रव्यानुयोग
JainKosh

जैनकोष याने जैन आगम का डिजिटल ख़जाना ।

यहाँ जैन धर्म के आगम, नोट्स, शब्दकोष, ऑडियो, विडियो, पाठ, स्तोत्र, भक्तियाँ आदि सब कुछ डिजिटली उपलब्ध हैं |

Quick Links

  • Home
  • Dictionary
  • Literature
  • Kaavya Kosh
  • Study Material
  • Audio
  • Video
  • Online Classes

Other Links

  • This page was last edited on 12 February 2024, at 16:37.
  • Privacy policy
  • About जैनकोष
  • Disclaimers
© Copyright Jainkosh. All Rights Reserved
  • Powered by MediaWiki