तीर्थंकर प्रकृति
From जैनकोष
नाम कर्म की एक पुण्य प्रकृति । इसी का बंध कर मानव तीर्थंकर होता है । इस प्रकृति के बंध में सोलहकारण भावनाएं हेतु होती है । हरिवंशपुराण - 39.1
नाम कर्म की एक पुण्य प्रकृति । इसी का बंध कर मानव तीर्थंकर होता है । इस प्रकृति के बंध में सोलहकारण भावनाएं हेतु होती है । हरिवंशपुराण - 39.1