दिगिंद्र
From जैनकोष
त्रिलोकसार गाथा 223-224
..दिगिंदा..।..॥223॥...तंतराए....।....॥224॥
= बहुरि जैसे तंत्रादि राजा कहिये सेनापति तैसे लोकपाल हैं।
इससे सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए देखें इंद्र ।
त्रिलोकसार गाथा 223-224
..दिगिंदा..।..॥223॥...तंतराए....।....॥224॥
= बहुरि जैसे तंत्रादि राजा कहिये सेनापति तैसे लोकपाल हैं।
इससे सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए देखें इंद्र ।