दिव्यलक्षणपंक्ति
From जैनकोष
बत्तीस व्यंजन, चौसठ कला और एक सौ आठ लक्षण इन दो सौ चार लक्षणों की अपेक्षा से दो सौ चार उपवासों से युक्त एक व्रत । इसमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाने से यह चार सौ आठ दिन मे पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.123
बत्तीस व्यंजन, चौसठ कला और एक सौ आठ लक्षण इन दो सौ चार लक्षणों की अपेक्षा से दो सौ चार उपवासों से युक्त एक व्रत । इसमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाने से यह चार सौ आठ दिन मे पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.123