द्वींंद्रिय जाति
From जैनकोष
धवला/13/5,5,101/363/9 एइंदिय-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदिय-पंचिंदियभावविणव्वत्तयं जं कम्मं तं जादि णामं। =जो कर्म एकेंद्रिय, द्वींद्रिय, त्रींद्रिय, चतुरिंद्रिय और पंचेंद्रिय भाव का बनाने वाला है वह जाति नामकर्म है।
अधिक जानकारी के लिये देखें जाति (नामकर्म)