पांडुकशिला
From जैनकोष
पांडुक वन में स्थित चार शिलाओं में एक सुवर्णमयी शिला । यह पांडुक वन के पूर्व और उत्तर दिशा के बीच (ईशान) में स्थित, सौ योजन लंबी, पचास योजन चौड़ी और आठ योजन ऊँची अर्द्धचंद्राकार है । इसमें सिंहासन और मंगल द्रव्य की रचनाएँ भी हैं । महापुराण 13.82-84, 88-93, हरिवंशपुराण - 5.347-348,34.44 पांडवपुराण 2. 123, वीरवर्द्धमान चरित्र 8. 118-122