प्रवचनी
From जैनकोष
धवला 13/5,5,/50/283/9 प्रकृष्टानि वचनान्यस्मिन् संतीति प्रवचनी भावागमः । अथवा प्रोच्यते इति प्रवचनोऽर्थः, सोऽत्रास्तीति प्रवचनी द्वादशांगग्रंथः वर्णोपादानकारणः । =
- जिस में प्रकृष्ट वचन होते हैं वह प्रवचनी है, इस व्युत्पत्ति के अनुसार भावागम का नाम प्रवचनी है ।
- अथवा जो कहा जाता है वह प्रवचन है, इस व्युत्पत्ति के अनुसार प्रवचन अर्थ को कहते हैं । वह इसमें है इसलिए वर्णोपादानकारणक द्वादशांग ग्रंथ का नाम प्रवचनी है ।