बध्यमान कर्म
From जैनकोष
धवला 12/4, 2, 10, 2/303/4 मिथ्यात्वाविरतिप्रमादकषाय-योगैः कर्मरूपतामापाद्यमानः कार्मणपुद्गलस्कंधो बध्यमानः । = मिथ्यात्व अविरति, प्रमाद, कषाय और योग के द्वारा कर्मस्वरूप को प्राप्त होने वाला कार्मण पुद्गल स्कंध बध्यमान कहा जाता है ।