भरतकूट
From जैनकोष
प्रथम जंबूद्वीप में हिमवत् कुचालक के ग्यारह कूटों में तीसरा कूट । यह मूल में पच्चीस योजन, मध्य में पौने उन्नीस योजन और ऊपर साढ़े बारह योजन विस्तार से युक्त है । हरिवंशपुराण - 5.53-56
प्रथम जंबूद्वीप में हिमवत् कुचालक के ग्यारह कूटों में तीसरा कूट । यह मूल में पच्चीस योजन, मध्य में पौने उन्नीस योजन और ऊपर साढ़े बारह योजन विस्तार से युक्त है । हरिवंशपुराण - 5.53-56