भव्यमार्गणा
From जैनकोष
जीवों को ढूंढने के चौदह स्थानों में एक स्थान । यह भव्य और अभव्य के भेद से दो प्रकार का होता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 53. 55
जीवों को ढूंढने के चौदह स्थानों में एक स्थान । यह भव्य और अभव्य के भेद से दो प्रकार का होता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 53. 55