भानुकीर्ति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
नंदी संघ के देशीय गण की गुर्वावली के अनुसार आप गंड विमुक्तदेव के शिष्य थे। समय–वि. 1215-1239 (ई 1158-1182); ( धवला 2/ प्रस्तावना 4/H.L. Jain) देखें इतिहास - 7.5।
पुराणकोष से
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र की मथुरा नगरी के सेठ भानुदत्त और सेठानी यमुनादत्ता के सात पुत्रों में दूसरा पुत्र, सुभानु का छोटा भाई । भानुषेण, भानुशूर, नरदेव, शूरदत्त, शूरसेन इसके छोटे भाई थे । इन्होंने मुनि दीक्षा ले ली थी तथा आयु के अंत में संन्यासमरण कर सातों भाई प्रथम स्वर्ग में त्रायस्त्रिंश जाति के देव हुए थे । महापुराण 71.201-206, 245-248, हरिवंशपुराण - 33.96-98,हरिवंशपुराण - 33.140