भावपाहुड गाथा 19
From जैनकोष
आगे फिर कहते हैं कि जन्म लेकर मरण किया तब माता के रोने के अश्रुपात का जल भी इतना हुआ -
तुह मरणे दुक्खेण अण्णण्णाणं अणेयजणणीणं ।
रुण्णाण णयणणीर सायरसलिलादु अहिययरं ।।१९।।
तव मरणे दु:खेन अन्यासामन्यासां अनेकजननीनाम् ।
रुदितानां नयननीरं सागरसलितात् अधिकतरम् ।।१९।।
तेरे मरण से दुखित जननी नयन से जो जल बहा ।
वह उदधिजल से भी अधिक यह वचन जिनवर ने कहा ।।१९।।
अर्थ - हे मुने ! तूने माता के गर्भ में रहकर जन्म लेकर मरण किया, वह तेरे मरण से अन्य- अन्य जन्म में अन्य-अन्य माता के रुदन के नयनों का नीर एकत्र करें तब समुद्र के जल से भी अतिशयकर अधिकगुणा हो जावे अर्थात् अनन्तगुणा हो जावे ।