मंदार
From जैनकोष
गंधिलदेश के विजयार्ध पर्वत के पुष्पपादप । इन वृक्षों के पास शीतल, मंद और सुगंधित वायु बहती है । महापुराण 4.100, 197
गंधिलदेश के विजयार्ध पर्वत के पुष्पपादप । इन वृक्षों के पास शीतल, मंद और सुगंधित वायु बहती है । महापुराण 4.100, 197