मनोवेग
From जैनकोष
- वृहत् कथाकोश/कथा नं 7/पृ. मथुरा नगरी में मुनिगुप्त द्वारा रेवती को आशीष और भव्यसेन मुनि को कुछ नहीं कहला भेजा।20। इस प्रकार इसने उन दोनों की परीक्षा ली।27।
- महापुराण/75/ श्लोक–पूर्व भव नं. 4 में शिवभूति ब्राह्मण का पुत्र था।72। पूर्वभव नं. 3 में महाबल नाम का राजपुत्र हुआ।81। पूर्व भव नं. 2 में नागदत्त नाम का श्रेष्ठीपुत्र हुआ।96। पूर्वभव नं.1 में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ।162। वर्तमान भव में मनोवेग होकर पूर्व स्नेहवश चंदना का हरण किया।165-173।