मानसवेग
From जैनकोष
विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्वर्णिम नगर के स्वामी मनोवेग विद्याधर का पुत्र और वेगवती का भाई । यह यद्यपि वसुदेव की सोमश्री रानी को हरकर अपने नगर ले गया था परंतु अंत में वह वसुदेव का हितैषी हो गया था । हरिवंशपुराण - 24.69-72,[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_26#27|हरिवंशपुराण - 26.27], 51.3