मुक्तावली व्रत
From जैनकोष
यह तीन प्रकार का है–बृहद्, मध्यम व लघु।
1. मध्यम विधि―1,2,3,4,5,4,3,2,1 इस क्रम से 25 उपवास करे। बीच के 8 स्थानों में व अंत में पारण करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( हरिवंशपुराण/34/69-70 ); (व्रत विधान संग्रह/पृष्ठ 75)।
2. बृहत् विधि–उपरोक्त प्रकार ही 1,2,3,4,5,6,7,6,5,4,3,2,1 इस क्रम से 49 उपवास व 13 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रत विधान संग्रह। पृष्ठ 75)।
3. लघु विधि–9 वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शु. 7; आश्विन कृ. 6, 13 तथा शु. 11; कार्तिक कृ. 12 तथा शु. 3,11; मगशिर कृ. 11 तथा शु. 3–इस प्रकार 9 उपवास करे, अर्थात् कुल 81 उपवास करे। ‘ओं ह्रीं वृषभजिनाय नम:’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रतविधान संग्रह/पृष्ठ 75)।