मुख्य
From जैनकोष
स्वयंभू स्तोत्र/53 विवक्षितो मुख्यं इतीष्यतेऽन्यो गुणोऽविवक्षो। = जो विवक्षित होता है वह मुख्य कहलाता है, दूसरा जो अविवक्षित होता है वह गौण कहलाता है। ( स्वयंभू स्तोत्र/25 )
मुख्य का लक्षण व मुख्य गौण व्यवस्था–देखें स्याद्वाद - 3।