मुनि
From जैनकोष
समयसार / आत्मख्याति/151
मननमात्रभावतया मुनिः।
= मननमात्र भाव स्वरूप होने से मुनि है।
चारित्रसार/46/5
मुनयोऽवधिमनःपर्ययकेवलज्ञानिनश्च कथ्यंते।
= अवधिज्ञानी, मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानियों को मुनि कहते हैं।
देखें साधु - 1–(श्रमण, संयत, ऋषि, मुनि, साधु, वीतराग, अनगार, भदंत, दांत, यति ये एकार्थवाची हैं)।
* मुनि के भेद व विषय–देखें साधु ।