यति
From जैनकोष
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 213
(2) जीव मात्र के कल्याण की भावना रखने वाले साधु । समवसरण में इनका पृथक् स्थान होता है । महापुराण 9.166, हरिवंशपुराण - 3.61
(3) संगीत के तालगत गांधर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण - 19.151