योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 60
From जैनकोष
अजीव द्रव्यों के नाम -
धर्माधर्म-नभ:-काल-पुद्गला: परिकीर्तिता: ।
अजीवा जीवतत्त्वज्ञैर्जीवलक्षणवर्जिता: ।।६०।।
अन्वय :- जीवतत्त्वज्ञै: धर्म-अधर्म-नभ:-काल-पुद्गला: जीवलक्षणवर्जिता: अजीवा: परिकीर्तिता: ।
सरलार्थ :- जीवतत्त्व के ज्ञाता अर्थात् आत्मज्ञ अरहंत, आचार्य आदि साधक जीवों ने धर्म, अधर्म, आकाश, काल एवं पुद्गल - इन पाँच द्रव्यों को जीवद्रव्य के लक्षण से रहित होने के कारण अजीव द्रव्य कहा है ।