योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 78
From जैनकोष
पुद्गल के चार भेद और उनका स्वरूप -
स्कन्धो देश: प्रदेशोsणुश्चतुर्धा पुद्गलो मत: ।
समस्तमर्धर्धार्धविभागमिमं विदु: ।।७८।।
अन्वय :- स्कन्ध:, देश:, प्रदेश:, अणु: (इति) पुद्गल: चतुर्धा मत: । इमं समस्तम् अर्ध् अर्धार्ध् अविभागं (च) विदु: ।
सरलार्थ :- पुद्गलद्रव्य स्कन्ध, देश, प्रदेश और अणु इसतरह चार प्रकार का माना गया है । इस चतुर्विध समस्त पुद्गल को क्रमश: सकल, अर्ध, अर्धार्ध और अविभागी कहते हैं ।