योगसार - चूलिका-अधिकार गाथा 461
From जैनकोष
मुक्ति में भी आत्मा का अभाव नहीं -
नाभावो मुक्त्यवस्थायामात्मनो घटते तत: ।
विद्यमानस्य भावस्य नाभावो युज्यते यत: ।।४६१।।
अन्वय :- यत: विद्यमानस्य भावस्य अभाव: न युज्यते तत: मुक्त्यवस्थायां आत्मन: अभाव: (अपि) न घटते ।
सरलार्थ :- क्योंकि विद्यमान/सत्स्वरूप वस्तु का कभी अभाव नहीं होता, यह त्रैकालिक सत्य है; इसलिए मुक्त अवस्था में भी आत्मा का अभाव कभी घटित नहीं होता ।