योगसार - जीव-अधिकार गाथा 27
From जैनकोष
सत्-असत् पदार्थो का खुलासा -
असन्तस्ते मता दक्षैरतीता भाविनश्च ये ।
वर्त ाना: पुन: सन्तस्त्रैलोक्योदरवर्तिन: ।।२७ ।।
अन्वय :- दक्षै: ये त्रैलोक्योदर-वर्तिन: अतीता: भाविन: च (पदार्था:) ते असन्त: पुन: वर्ताना: सन्त: मता: ।
सरलार्थ :- जो पदार्थ तीन लोक के उदर में भूतकाल में थे और भविष्यकाल में रहेंगे, उन्हें विवेकी पुरुष असत् मानते हैं । तथा जो पदार्थ वर्तान काल में हैं, उन्हें सत् मानते हैं ।