रथ
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
धवला 14/5, 6, 41/38/12 जुद्धे अहिरह-महारहाणं चउणजोग्गा रहा णाम ।
जो युद्ध में अधिरथी और महारथियों के चढ़ने योग्य होते हैं, वे रथ कहलाते हैं ।
पुराणकोष से
प्राचीन काल का एक प्रसिद्ध वाहन । इसमें हाथी और घोड़े जोते जाते थे । युद्ध के समय राजा इस पर आरूढ़ होकर समरांगण में जाता था । महापुराण 5.127, 10. 199