रात्रिपूजा निषेध
From जैनकोष
लाठी संहिता/6/187 तत्रार्द्ध रात्र के पूजां न कुर्यादर्हतामपि। हिंसाहेतोरवश्यं स्याद्रात्रौ पूजाविवर्जनम्। 187। = आधी रात के समय भगवान् अरहंत देव की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि आधी रात के समय पूजा करने से हिंसा अधिक होती है। रात्रि में जीवों का संचार अधिक होता है, तथा यथोचित रीति से जीव दिखाई नहीं पड़ते, इसलिए रात्रि में पूजा करने का निषेध किया है ( रत्नकरंड श्रावकाचार/पं. सदासुख दास/119/171/1 )।
मोक्षमार्ग प्रकाशक/6/280/2
पाप का अंश बहुत पुण्य समूह विषै दोष के अर्थ नाहीं, इस छलकरि पूजा प्रभावनादि कार्यनिविषैं रात्रिविषैं दीपकादिकरि वा अनंतकायादिक का संग्रह करि वा अयत्नाचार प्रवृत्तिकरि हिंसादिक रूप पाप तौ बहुत उपजावैं, अर स्तुति भक्ति आदि शुभ परिणामनिविषैं प्रवर्तै नाहीं, वा थोरे प्रवर्ते, सो टोटा घना नफा थोरा वा नफा किछू नाहीं। ऐसा कार्य करने में तो बुरा ही दीखना होय।
देखें पूजा - 5।