लिंगपाहुड़
From जैनकोष
आ.कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) कृत साधु के द्रव्य व भाव लिंग का प्ररूपक २२ (प्रा.) गाथा निबद्ध ग्रन्थ है। इसमें केवल पं. जयचन्दछावड़ा (ई. १८६७) कृत भाषा वचनिका उपलब्ध है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा २/११४)।
आ.कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) कृत साधु के द्रव्य व भाव लिंग का प्ररूपक २२ (प्रा.) गाथा निबद्ध ग्रन्थ है। इसमें केवल पं. जयचन्दछावड़ा (ई. १८६७) कृत भाषा वचनिका उपलब्ध है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा २/११४)।