लोकाकाश
From जैनकोष
आकाश का वह भाग जिसमें धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, काल, पुद्गल और जीव ये पाँच द्रव्य पाये जाते हैं । हरिवंशपुराण - 7.7 वीरवर्द्धमान चरित्र 16.132
आकाश का वह भाग जिसमें धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, काल, पुद्गल और जीव ये पाँच द्रव्य पाये जाते हैं । हरिवंशपुराण - 7.7 वीरवर्द्धमान चरित्र 16.132