वधपरीषह
From जैनकोष
बाईस परीषहों में एक परीषह । इसमें शरीर में नि:स्पृहभाव रखते हुए पीड़ा, मारण आदि जनित वेदना सहन करनी होती है । मुनि इसे निष्कलेश-भाव से सहते हैं । महापुराण 36.121
बाईस परीषहों में एक परीषह । इसमें शरीर में नि:स्पृहभाव रखते हुए पीड़ा, मारण आदि जनित वेदना सहन करनी होती है । मुनि इसे निष्कलेश-भाव से सहते हैं । महापुराण 36.121