वराहमिहिर
From जैनकोष
राजा विक्रमादित्य के नव रत्नों में से एक प्रसिद्ध कवि थे । समय - ई. 505-587 । (न्यायावतार । प्र.2 । सतीशचंद्र विद्याभूषण); (भद्रबाहुचरित । प्र 14 । पं. उदयलाल) ।
राजा विक्रमादित्य के नव रत्नों में से एक प्रसिद्ध कवि थे । समय - ई. 505-587 । (न्यायावतार । प्र.2 । सतीशचंद्र विद्याभूषण); (भद्रबाहुचरित । प्र 14 । पं. उदयलाल) ।