वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षशास्त्र - सूत्र 5-29
From जैनकोष
सद् द्रव्यलक्षणम् ।। 5-29 ।।
द्रव्य का लक्षण―द्रव्य का लक्षण सत् है । जो सत् है वह द्रव्य है । अब सत् का लक्षण क्या है, यह भी एक जानना बहुत आवश्यक है, उसके लिए सूत्र कहेंगे उससे लक्षण जाना जायेगा । कोई सत् चाहे इंद्रिय ग्राह्य हो चाहे अतींद्रिय हो, प्रत्येक सत् में बाह्य और अध्यात्म निमित्त की अपेक्षा उत्पाद व्यय ध्रौव्य युक्तता होती है । वही सत् होता है । तो जितने भी ये धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय आदिक द्रव्य हैं वे सत्त्व होने के कारण द्रव्य हैं । तो अब यहाँ सत् का लक्षण कहा जा रहा है ।