विकसित
From जैनकोष
जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित वत्सकावती देश की सुसीमा नगरी का एक विद्वान् । यह राजकुमार प्रहसित का मित्र था । इन दोनों विद्वानों ने ऋद्धिधारी मतिसागर मुनिराज से जीव तत्त्व की चर्चा सुनकर तप ग्रहण कर लिया था । इसने नारायण पद की प्राप्ति का निदान किया आयु के अंत में शरीर छोड़कर दोनों महाशुक्र स्वर्ग में इंद्र और प्रतींद्र हुए । वहाँ से चयकर यह पुंडरीकिणी नगरी में वहाँ के राजा धनंजय और रानी यशस्वती का अतिबल नामक नारायण और प्रहसित इसी राजा की जयसेना रानी से महाबल नामक बलभद्र हुआ । महापुराण 7.70-82, देखें अतिबल - 7