विधिदान
From जैनकोष
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में पैतीसवीं क्रिया । इसमें इंद्र नम्रीभूत उत्तम देवों को अपने-अपने पद पर नियुक्त करता है और स्वयं चिरकाल तक उनके सुखों का अनुभव करता है । महापुराण 38.60, 199-201
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में पैतीसवीं क्रिया । इसमें इंद्र नम्रीभूत उत्तम देवों को अपने-अपने पद पर नियुक्त करता है और स्वयं चिरकाल तक उनके सुखों का अनुभव करता है । महापुराण 38.60, 199-201