विनयमिथ्यात्व
From जैनकोष
मिथ्यात्व के अज्ञान, संशय, एकांत, विपरीत और विनय इन पांच भेदों में पाँचवाँ भेद । मन, वचन और काय से सभी देवों को नमन करना, सभी पदार्थो को मोक्ष का उपाय मानना विनय मिथ्यात्व कहलाता है । महापुराण 62.297, 302
मिथ्यात्व के अज्ञान, संशय, एकांत, विपरीत और विनय इन पांच भेदों में पाँचवाँ भेद । मन, वचन और काय से सभी देवों को नमन करना, सभी पदार्थो को मोक्ष का उपाय मानना विनय मिथ्यात्व कहलाता है । महापुराण 62.297, 302