वीर्यांतराय
From जैनकोष
तत्त्वार्थसूत्र अध्याय 8/13
दानलाभभोगोपभोगवीर्याणाम्।
= दान, लाभ, भोग, उपभोग और वीर्य इनके पाँच अंतराय हैं।
देखें अंतराय ।
तत्त्वार्थसूत्र अध्याय 8/13
दानलाभभोगोपभोगवीर्याणाम्।
= दान, लाभ, भोग, उपभोग और वीर्य इनके पाँच अंतराय हैं।
देखें अंतराय ।