शरीरमरण
From जैनकोष
जीवों का मरण दो प्रकार का माना गया है― शरीरमरण और संस्कारमरण। इनमें अपनी आयु के अंत में देह का विसर्जन शरीर-मरण है। महापुराण 39.119-122
जीवों का मरण दो प्रकार का माना गया है― शरीरमरण और संस्कारमरण। इनमें अपनी आयु के अंत में देह का विसर्जन शरीर-मरण है। महापुराण 39.119-122