समुद्घात गत केवली
From जैनकोष
समुद्घात गत केवली ( धवला 7/2,1,11/55-56)
प्रमाण | मार्गणा | उदय काल | स्थान | भंग | प्रकृतियों का विवरण | भंगों का विवरण | |||||
- | सामान्य केवली - प्रतर व लोकपूर्ण | शरीर पर्याप्ति काल | 20 | 1 | मनुष्य आहारक रहित की 21 स्थान की 16 + पर्याप्त, सुभग, आदेय, यश = 20 | ||||||
- | तीर्थंकर केवली | शरीर पर्याप्ति काल | 21 | 1 | उपरोक्त 20 + तीर्थंकर = 21 | ||||||
- | सामान्य केवली - कपाट गत | शरीर पर्याप्ति काल | 26 | 6 | उपरोक्त 20 + औदारिकद्विक, 6 संस्थान में एक, वज्रवृषभनाराच संहनन उपघात, प्रत्येक = 26 | 6 संस्थानमें अन्यतम | |||||
- | तीर्थंकर केवली | शरीर पर्याप्ति काल | 27 | 1 | उपरोक्त 26 (परंतु केवल एक समचतुरस्र संस्थान) + तीर्थंकर = 27 | समचतुरस्र ही संस्थान है | |||||
- | सामान्य केवली - दंड गत | शरीर पर्याप्ति काल | 28 | 12 | उपरोक्त 26 + परघात, 2 विहायोगति में अन्यतम = 28 | 6 संस्थानx2 विहायोगति | |||||
- | तीर्थंकर केवली | शरीर पर्याप्ति काल | 29 | 1 | उपरोक्त 28 (परंतु केवल एक शुभ संस्थान व विहायोगति ) + तीर्थंकर = 29 | शुभ ही संस्थान व विहायोगति | |||||
- | सामान्य केवली | उच्छ्वास पर्याप्ति काल | 29 | 12 | उपरोक्त 28 + उच्छ्वास = 29 | 6 संस्थानx2 विहायोगति | |||||
- | तीर्थंकर केवली | उच्छ्वास पर्याप्ति काल | 30 | 1 | उपरोक्त 29 (परंतु केवल एक शुभ संस्थान व विहायोगति ) + तीर्थंकर = 30 | शुभ ही संस्थान व विहायोगति | |||||
- | - | सर्व भंग | - | 35 | - |