सम्यगनेकांत
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय 1/6,7/35/36
एकत्र सप्रतिपक्षानेकधर्मस्वरूपनिरूपणो युक्त्यागमाभ्यामविरुद्धः सम्यगनेकांतः।
= युक्ति व आगम से अविरुद्ध एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी अनेक धर्मों के स्वरूप का निरूपण करना सम्यगनेकांत है।
अधिक जानकारी के लिये देखें अनेकांत - 1।