सहज दु:ख
From जैनकोष
भावपाहुड़/ मूल/11 आगंतुकं माणसियं सहजं सारीरियं चत्तारि। दुक्खाइं...।11। =आगंतुक, मानसिक, स्वाभाविक तथा शारीरिक, इस प्रकार दु:ख चार प्रकार का होता है।
नयचक्र/93 सहजं...नैमित्तिकं...देहजं...मानसिकम् ।93। =दु:ख चार प्रकार का होता है–सहज, नैमित्तिक, शारीरिक और मानसिक।
अधिक जानकारी के लिये देखें दु:ख ।